गुरुवार, 9 अक्तूबर 2014

सब कुछ हुआ साफ अबकी बार...क्यों?

अब क्या लिखना, पढ़ना और बोलना.....रामराज्य आ गया देश में बड़ी जल्दी। अहो रूपम....अहो ध्वनि!! जिसके पास है सबकुछ वह करे जय-जय; और जिसके पास नहीं है वह धार्मिक जाप करे, सत्संग करे, आरती करे....उसके भी दुःख के दिन उबरेंगे ही। देश को निमोनिया(मोदीकरण) से अमोनिया(अमेरिकीकरण) में रूपान्तरण हो ही चुका है; भाई स्वाद तो चखिए।

शायद! इसी से मेरी भी भला हो जाए। जय मोदी, जय मोदी। यह अलग बात है कि-'सांच कहे, तो मारन को धावे।' इससे अच्छा है; न कहो। वैसे भी मेरे कहने से जन-जन के 'अच्छे दिन' थोड़े आयेंगे। उसके लिए तो मोदीनुमा जन-धन चाहिए। मुझे भी। मैं कौन बिल्ला बहादुर हूं?

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