सोमवार, 20 अक्तूबर 2014

ज़िन्दगी


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हर सबक कुछ सिखलाये
...कुछ नया हम पाये,
ये ज़िन्दगी है अपनी यारों
...रौ में रहना आऽऽऽ जाये,

 हू-नु-हुऽनुऽनुनु.... हू-नु-हुऽनुऽनुनु, 

हर लम्हें कुछ नया बटोरें
....औरों के संग बतियाये,
बात-बात में जी लें ऐसे
....ज़िन्दगी मस्त होऽऽऽ जाये,

 हू-नु-हुऽनुऽनुनु.... हू-नु-हुऽनुऽनुनु

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