रविवार, 12 अक्तूबर 2014

गोली मार दो


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उत्तर आधुनिक वेदोपदेश


यदि वे तुम्हें टक्कर दे
अपनी योग्यता से कर दे तुम्हें मात
तो इंतजार न करो
उन्हें गोली मार दो
या काट दो फिर ज़बान
या कि कर दो लूल-लांगड़

दरअसल,
भारत में योग्य होना
सिर्फ और सिर्फ
ब्राह्मणों और क्षत्रियों के लिए
सर्वाधिकार सुरक्षित है!!!

यह जानों कि-
वेद शूद्रों ने लिखा है
और किसानों, श्रमिकों और मेहनतकश अनगिनत हाथों ने
उसे हर राग, लय, सुर और ताल में गाया है
ध्वनि-मिश्रित स्वर, शब्द और भाषा में स्फोट किया है

याद रखों कि-
हम ब्राह्मणवादियों और मनुवादियों ने तो उसे हथिया भर लिया है
नमस्तस्यै...नमस्तस्यै...नमस्तस्यै...नमों नमः...
कहते हुए, गाते हुए, बखानते हुए
और यही नहीं इन नीच-कूल-अधर्मियों का, शूद्रों का
हांड़-मांस-हाथ-हथेली....उनका सर्वस्व
अपने शोषण के बहुविध औजारों से उधेड़ते हुए

प्रतिरोध में सर उठाते ही उनका सर कलम करते हुए
अपनी बात न मानने पर उनकी आंख फोड़ते हुए
उनकी बेटी-बहू और औरतों का अस्मत लूटते हुए

यह अलग बात है कि हम उन पर जितना ही बोझ डालते हैं
उनकी विद्रोह की चेतना को बांझ बनाते हैं
उनकी आवाज़ की भूमिका पर स्टिकर चिपकाते हैं
उन्हें धर्म की बिसात पर मौनी-अन्धेरे में धकेलते हैं
थोड़ा भी भयातुर होते ही अपनी शास्त्रीय भाषा तक बदल देते हैं
किन्तु वे फिर-फिर ज़िन्दा होते हैं
....वे फिर-फिर हम पर भारी पड़ते हैं

अतः शासन के बहाने अपत करने वालों को चाहिए कि-
थोड़ी भी आशंका होते ही
उन्हें तत्काल गोली मार दो....उनका वध कर दो
यही भारतीय परम्परा रही है
और हमारे शासक-शोषक होने/बने रहने की वास्तविक सबूत
वीर भोग्या वसुन्धरा!!!


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