शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

भूमिका में बच्चें

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दीपू
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बच्चें
अपनी मां से
हीक भर लिपटने का चाहत लिए
जगतें है पूरी रात

बच्चें
नहीं सोतें तबतक
जब तलक चलती है मैराथन दौड़
उसके पिता की रात संग

बच्चें
अपने माँ-पिता के संघर्षों में
शामिल होते हैं
पूरी ईमानदारी के साथ

किन्तु सहज, तरल, बेआवाज़
मौन की भाषा में!

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