आर्जीव
शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2014
डर
...
हम अपनी सभ्यता के खोने से
और संस्कृतियों के मिट जाने से नहीं डरते हैं
जितना कि
सभ्य और सांस्कृतिक मनुष्य होने से
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