मंगलवार, 14 अक्तूबर 2014

ईश्वर के नाम एफआईआर


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मुझे जहां शामिल किया गया
परीक्षा देने के लिए
परीक्षक ने मुझे सर्वथा योग्य कहा
मैं आगे बढ़ गया
लोगों ने कहा-ईश्चर कृपा रही!


मुझे जहां लिखने के लिए कहा गया
मैंने ऐसा लिखा कि
मेरे लिखे को मुद्रण के सर्वथा योग्य समझा गया
मैं आगे बढ़ गया
लोगों ने कहा-ईश्चर कृपा रही!

मुझे जिन के बीच रहने को कहा गया
मैं इस सभ्यता से विनम्र होकर रहा कि
मेरे रहने की दैनंदिनी पर कसीदे काढ़े जाने लगा
मैं आगे बढ़ गया
लोगों ने कहा-ईश्चर कृपा रही!

मुझे जिन लोगों का नेतृत्व करने के लिए कहा गया
मैंने अपनी कंमाडर होने की भूमिका ऐसे निभाई कि
सबने लोहा मानी और पीठ पर शाबसी की धौल दी
मैं आगे बढ़ गया
लोगों ने कहा-ईश्चर कृपा रही!

इतना आगे बढ़ जाने के बाद
आज मुझसे कहा जा रहा है:
‘भाषा बदल दो’
‘जाति बदल दो’
‘धर्म बदल दो’
‘वेशभूषा बदल दो’
‘खान-पान बदल दो’
'बोलचाल-व्यवहार बदल दो’
‘स्वभाव बदल दो’
‘चरित्र बदल दो’
क्योंकि यह ईश्वर के बनाए शासकों के कृपापात्र बनने के सर्वथा प्रतिकूल है

मैं दृढ़निश्चयी, मैं संकल्पजीवी....मैं आत्मस्वाभिमानी
मैं इन सबको नकारने पर तुला हूं
....और जैसे अनाम लोगों के नाम
दर्ज होते हैं एफआईआर
मैं ईश्वर के नाम एफआईआर दर्ज़ कराता हूं!!!

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