शनिवार, 9 अगस्त 2014

राजीव रंजन प्रसाद की तीन कविताएं

प्रेम-पत्र
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तुम्हारी अंजुरी में मुँह रख रोया मैं
...कि क्यों नहीं लिखा मैंने प्रेम-पत्र?


ईमानदारी
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सब कहते हैं-
शादीशुदा हो, तो
मार लो हाथ
कृष्ण से भी कहाँ निभा है महाभारत में।


रोटी
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वह कहती है-
रोटी गोल बनती है
बनाने वाले की नियत से
‘पृथ्वी गोल है...इसीलिए रोटी गोल है’ कहने से नहीं।

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