शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

मोदी ने किया शीतल-पेय कंपनियों को ‘वार्न’



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हाल में कोकाकोला कंपनी द्वारा यूपी में निवेश से हाथ झटकने का मामला
प्रकाश में आया है। इस पर तड़के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने
बहुराष्ट्रीय शीतल-पेय कंपनियों को अपनी हद में रहने की हिदायत दे दी है।
उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि-‘यदि आप जरूरी सिस्टम को फाॅलो
और प्रतीक्षा नहीं कर सकते, तो बेहतर है कि भारत से बाहर जाकर अपनी
दुकानदारी करें।’ राष्ट्रीय गरिमा और सम्मान को लेकर हमेशा कटिबद्ध रहने
वाले प्रधानमंत्री मोदी जी का अहंकारग्रस्त शीतल-पेय कंपनियों को यह कड़ा
संदेश स्वागतयोग्य है; क्योंकि यह भारतीय जनमानस के गर्व-बोध से जुड़ा
मामला है। नामीगिरामी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ हर देश में ‘बेच अधिकार’
पाने के लिए हरसंभव तिकड़म करती है। उनके इस रवैए का मुख्य कारण यह होता
है कि वह सम्बधित देश को भारी मात्रा में टैक्स चुक्ता करती हैं। लेकिन
उन्हें अब यह मालूम होना चाहिए कि भारत में राष्ट्रवादी सम्प्रभुता की
सरकार है; विदेशी ताकतों का खिलौना बनकर रह जाने वाली ‘कठपुतली गर्वमेंट’
नहीं। नरेन्द्र मोदी जिन्होंने आने वाले निकट भविष्य में हर खाली हाथ को
उद्यमी हाथ बनाने का संकल्प दुहराया है; के लिए किसी भी स्थिति में
स्थानीय कारोबारियों या उद्यमियों का नुकसान बर्दाश्त नहीं है। ग्रामीण
विकास पर अधिकाधिक जोर उनकी इसी भावना का द्योतक है। कहना न होगा कि
बहुराष्ट्रीय शीतल-पेय कम्पनियों ने भारत के पारम्परिक पेय-पदार्थों को
बाज़ार की प्रतिस्पर्धा से बिल्कुल बाहर कर दिया है। पिछले सरकार की
दोषपूर्ण नीति इसके लिए सर्वाधिक जिम्मेदार रही है जो अमेरीकी-वर्चस्व के
आगे घूटने टेकती आ रही थी। दृढ़इच्छाशक्ति वाले प्रधानमंत्री मोदी का तेवर
भिन्न दिखाई दे रहा है। यह अमेरीका-ब्रिटेन लगायत यूरोपीय देश शिद्दत से
महसूस कर सकते हैं। प्रधनमंत्री की इस चेतावनी से जनता में यह साफ संदेश
गया है कि भारतीय ज़मीन पर विदेशी कम्पनियों को बाज़ार स्थापित करने का
अधिकार भारत सरकार ‘2 जी स्पेक्ट्रम’ मामले की तरह रेवड़ियाँ बाँटते हुए
हरगिज़ नहीं कर सकती है। चाहे यह मसला किसी राज्य-विशेष का ही क्यों न हो?
संभव है कि अबकी बार केन्द्र में काबिज़ हुई नई सरकार को अपने अवाम का
‘पेप्सी-कोक’ पीते हुए ‘जीओ सर उठा के’ कहना पसन्द न आये; और उसकी जगह
भावी पीढ़ी से कहलवाए-‘जीओ पर अपनी बाट लगाकर नहीं’। आमीन!

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