गुरुवार, 6 नवंबर 2014

पी.एम. आज काशी विराजै

कार्यक्रम आज: 07/11/2014
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प्रधनमंत्री नामचीन नहीं हैं। कहा जाता है कि वे काम को वरीयता देते हैं और काम करने वाले को अहमियत। काशी में उनका ‘परफार्मेंस’ कैसा रहा है; यह उनके आगमन की अगुवाई में काशी द्वारा दी गई प्रतिक्रियाओं से ही जाना जा सकेगा।

 यह तय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘प्रधानमंत्री के रूप में’ काशी का यह पहला दौरा है। देव-दीपावली के बिहान ही वे इस पावन-पवित्र नगरी में पहुंच रहे हैं। उन्हें यहां पर गंगा नदी का 'हाल-ए-हक़ीकत' देखना है। यह जानना है कि उनके कार्यकत्र्ता और मातहत लोग बनारस को जापान के ‘क्योटो शहर’ से मुकाबला कराने में कैसे और कितने जी-जान से जुटे हैं?  ‘एक गांव हर सांसद की गोद में’ योजना के अन्तर्गत उन्होंने जिस गांव को चुना है; वह रातों-रात बदल रहा है, तो क्यों नहीं दूसरे गांवों का इसी तरह कायाकल्प हो सकता है? इच्छााशक्ति, संकल्प, निष्ठा, समर्पण, ईमानदारी, प्रतिबद्धता, निष्पक्षता आदि शब्द राजनीतिक कार्यों में एक उत्साही और उमंगदार शुरुआत के बाद क्योंकर निरर्थक हो जाते हैं? इन सारे तथ्यों और जानकारियों से प्रधानमंत्री को रू-ब-रू होना होंगा।

बीते महीनों में अपने काशी केन्द्रित जनसम्पर्क-कार्यालयों के किए-धराए को भी उन्हें जांचना-परखना होगा। यह जनता भी जानती है और स्वयं प्रधानमंत्री भी जानते हैं कि प्रायोजित नारों के उद्गार और ‘मोदी-मोदी’ के शोर से जनता का भला नहीं होने वाला है या कि उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता और राजनीतिक कौशल, नेतृत्व और निर्णय-क्षमता साबित नहीं होने वाली है। चलिए, आज हम भी उनके साथ दो-कदम चलते हुए उनकी कर गुजरने की तबीयत को नजदीक से देखें!

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