शनिवार, 1 नवंबर 2014

राजीतिक संचारक की भाषिक एवं कायिक पटकथा


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शोध पत्र प्रस्तुति : राजीव रंजन प्रसाद
वरिष्ठ शोध अध्येता(जनसंचार एवं पत्रकारिता)
प्रयोजनमूलक हिन्दी, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय

संचार : अर्थ, भूमिका, अनुप्रयोग, समकालीन महत्त्व, ग्लोबल नेतृत्व आदि

भाषा :
>भाषिक रूप, स्थिति, प्रयोग, प्रभाव,
>कायिक रूप, स्थिति, प्रयोग, प्रभाव

राजनीतिक संचारक : व्यक्तित्व, व्यवहार, नेतृत्व

प्रतिनिधि राजनीतिक संचारक : राहुल गाँधी, अरविन्द केजरीवाल, नरेन्द्र मोदी

राजनीतिक भाषणों का विश्लेषण :           
>वाग्मिता, वक्तृता
>विशिष्ट संचारक गुण
>साम्य-वैषम्य
>राजनीतिक अंतःदृष्टि
>ज़मीनी जुड़ाव
>सामाजिक सरोकार
>सम्बद्ध भूमिका
>दायित्व का निर्वहन
>निर्णय-क्षमता
>क्रियान्वयन
>सफलता
>नेतृत्व

अन्य युवा राजनीतिज्ञों से संक्षिप्त तुलनात्मक अध्ययन-विश्लेषण

निष्कर्ष
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Walk With Mirror 
राजनीतिज्ञ संचारक का वैयक्तिक दायित्व
मेरे आलोचनात्मक निकष

1. सक्रिय आलोचनात्मक दृष्टिकोण
2. विवेकसम्मत चेतना
3. जनांकाक्षा के प्रति अटूट निष्ठा
4. नैतिक समझदारी और चारित्रिक बरताव
5. जन-बहुलता और जन-शक्ति को श्रेष्ठ-सर्वोपरि सत्ता मानने की धारणात्मक/संकल्पनात्मक प्रवृत्ति
6. जन-समस्याओं के हल अथवा निराकरण हेतु उच्च मनोबल, दृढ़इच्छाशक्ति और सेवा-समर्पण भाव
7. सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक मोर्चे पर ठनी वर्गीय अंतद्र्वंद्वों एवं अंतर्विरोधों का समाधान
8. सामाजिक यथार्थ को केन्द्रीय भूमिका में रखते हुए जन-अभिमत तैयार करना।
9. राज्य-राष्ट्र की जनातांत्रिक संकल्पना को भौगोलिक चैहद्दी के सीमांकन-रेखांकन से ऊपर उठाना
10. नवाधुनिक, नवीन अथवा नवाचारयुक्त चेष्टाओं का अधिकाधिक आत्मसातीकरण
11. मानवीय-कौशल,अभिवृति एवं तकनीकी-प्रौद्योगिकी आधारित अनुप्रयोग को प्रोत्साहन 
12. ग्लोबल नेतृत्व हेतु स्वतंत्र मानस एवं आत्मनिर्भर समाज का निर्माण
13. परम्परा एवं संस्कृति में अनुस्यूत अरध्यात्मिक चेतना एवं दृष्टिकोण को अक्षुण्णय बनाए रखना
14. ‘अपनी मूल चारित्रिक सत्ता में अपना सर्वांगीण विकास’ का बहुद्देशीय एवं बहुआयामी लक्ष्य रखना
15. सामाजिक समरसता से वैश्विक-मिलाप तक में ‘सत्य’, अहिंसा’ और 'मानव-सेवा धर्म’ को अपनाना
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* तवज्जों या तरजीह देने की बात करना बेमानी है; लेकिन गंभीर तथ्याों, विचारों और विश्लेषणों पर गौर फरमाना बेहद जरूरी है।

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