गुरुवार, 6 नवंबर 2014

हत्या के विरुद्ध आत्महत्या

:: भारत में सत्यानाशी विकास में अविनाशी पूंजीवाद का बढ़ता महाप्रकोप यदि दिखाई नहीं देती, तो समझिए हमारी चेतना का सामूहिक वध होना तय है! ::
हमारी मौत को
आत्महत्या माना जाएगा
क्योंकि हम सामूहिक वध अथवा सरकारी हत्त्याओं के खिलाफ लामबंद होना चाहते हैं
अपने लिए रोटी, कपड़ा और मकान चाहते हैं
हम अपनी ज़मीन के साथ
अपनी हवा-बतास के साथ
नल-कल-कुओं के साथ
ताल-पोखर और नदियों के पूजन-पाठ के साथ
समूह में और निर्भीक जीना चाहते हैं!

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